राजनीति
राजनीति थोड़ी अलग, थोड़ी अजब, थोड़ी भ्रष्ट, है ये राजनीति.. चाहे मानो या ना मानो.. है ये ही सच्चाई आजकल की.. यूं तो राजनीति चली आ रही है, महाभारत के समय से ही.. जब धर्म के धुरंधरो को चुनौती, शकुनि के षड्यंत्र से मिली.. परंतु तब धरा पर कृष्ण थे, उनके साथ 'गीता' का ज्ञान था.. और आज विश्व पर छाई है.. बस तृष्णा और अज्ञानता! केवल सत्ता की लालसा में पुत्र, पिता को है दुत्कारता.. भूल गया मनुष्य मनुष्यता को, आज वो प्यार नहीं पहचानता. सब आरोप मढ़ते है.. एक दूसरे पर स्वयं की भूल का.. आजकल पशुओं में दिखता है वात्सल्य और मानव में क्रूरता. थोड़ी अलग, थोड़ी अजब, थोड़ी भ्रष्ट, है ये राजनीति.. चाहे मानो या ना मानो.. है ये ही सच्चाई आजकल की.. चाहे हो गाँव का आंगन, या पॅसेंजर ट्रेन या हो चमचमाती कार.. या हो ऑफीस की कॅंटीन, या घर, या हो मीना बाज़ार.. हर भारतीय के मन में बसा है आजकल बस ये ही एक सवाल.. कि.. आखिर किसकी होगी अगली सरकार??... हर नेता साबित करता है, विरोधी को सबसे बड़ा अपराधी.. कुर्सी के लिये छली जा र