कभी-कभी लगता है यूँ कि..


कभी-कभी लगता है यूँ कि.. आज भी बहुत कुछ सीखना बाकी है..
माना धूप -छाँव का आना - जाना होगा ही मगर..
लोगो का पल भर मे आदतें बदलना अजीब-सा लगता है!

कभी-कभी लगता है यूँ कि.. दोस्ती का सबब समझना मुश्किल है..
लोग कई मिल जाते है राह-ए-मंजिल मे मगर..
कौन हमेशा याद रखे और कौन अगले पल भूल जाये ये मायने रखता है!

कभी-कभी लगता है यूँ कि.. पत्थरो से बातें करना अच्छा है..
चाहे वो कुछ भी बोल-सुन नहीं सकते मगर..
उनकी वो कुछ भी ना सुनने , ना बोलने की आदत तो हमेशा है!

कभी-कभी लगता है यूँ कि.. किसी पर भरोसा करना नादानी है..
आँखें-मूँद विश्वास कर लेना बहुत आसान है मगर..
किसी नाजुक घड़ी में कोई साथ ना आये , तब ये मन चुप-चाप रोता है!!

कभी-कभी लगता है यूँ कि..

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