आजकल!
आजकल कुछ अजीब सा लगता है!
मानो आँख -मिचोली का खेल खत्म ना हो रहा हो ..
ढूंढ रही हु मैं पर कोई हर बार ढप्पी कर रहा हो ..
खीझ सी है मन मे जो .. मुझ को असहज सा कर रही ..
दूर एक परछाई है .. जिसको बिन -देखे मैं डर रही ..
आजकल कुछ अजीब सा लगता है!
मानो कोई इम्तेहान देने के लिए बस निकलना हो ..
तैयारी पूरी है पर कोई अनचाहा सवाल आने वाला हो ..
डर सा है मन मैं जो .. मुझको कुछ करने नहीं दे रहा ..
आने वाला अनजाना समय है .. जो मुझे बेसब्र सा कर रहा ..
आजकल कुछ अजीब सा लगता है!
मानो बहुत भूख लगी हो और खाना बन रहा हो ..
पक रहा हो कुछ मगर अभी थोड़ा और समय लगना हो ..
बेसब्री सी मन मे है जो मुझको कुछ करने को उकसा रही ..
क्या करू , क्या न करू मैं.. यह असमंजस दिल को बहका रही ..
आजकल कुछ अजीब सा लगता है!
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