बस कल ही की तो बात हैं

बस कल ही की तो बात हैं.. 


मैं सोच रही थी कि, एक अरसा हो गया है हमें बात करे..

आज क्यों  ना थोड़ा समय निकाल कर, तुमसे गुफ्तगू कर ली जाए,

थोड़ी सी इधर उधर कि बातें हम पहले ही कर लें..

फिर दिल खोल कर, बिन नापे तोले, अपना हाल-ए-मन हम एक दूजे को बताये ।। 


बस कल ही की तो बात हैं.. 


मन सोचने लगा फिर कि, अभी तो बिलकुल समय नहीं ..

और तुम भी अभी, मशरूफ होगे अपने काम मे,

थोड़ी देर मे, जब हो सके, तब बात कर लेंगे हम यूँ ही..

ऐसी कोई जरुरी बात भी नहीं कि,  तुमको अभी इसी वक़्त तकलीफ दी जाए ।। 


बस कल ही की तो बात हैं.. 


दो बातें एक दूसरे से करना कब तकलीफ बन गया, पता ही ना चला..

एक दूसरे की ख़ुशी के लिए, क्या हम अब अजनबी बन गए?

ऐसा तो बिलकुल नहीं कि, हमने एक दूसरे को हो भुला दिया..

फिर क्यों करें हम तक्कलुफ़, बस तुम कुछ कहो.. और हम सुनते चले ।। 


बस कल ही की तो बात हैं.. 


यूँ सोचते हुए मैं कुछ और करने लग गयी,

फिर पता ही नहीं चला और पूरा दिन बीत गया..

क्यूंकि अब देर हो चुकी थी, तो बात अगले दिन को टाल दी..

पर याद मैंने करा तुम्हे, बस बात करना रह गया ।। 


बस कल ही की तो बात हैं.. 


जिंदगी की भाग-दौड़ में उलझे हुए, हमें रोज चीजों को है जोड़ना घटाना..

ऐसे में हम अगर संकोच करे तो एक दूसरे से बात करने के मौके ढूंढ़ते रह जायेंगे.. 

अब अगर तुम्हारा कभी मन करे, मुझसे बात करने का, तो बेझिझक बताना..

क्यूंकि रोज ऐसे दिन निकलते जायेंगे और फिर ये दिन साल बन जायेंगे।।  


और लगेगा, बस कल ही की तो बात थी.. 

Comments

Harish Chopra said…
What a great lines Ankita. Wow !!
This is so connecting.

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