खोज

कल भी थी, आज भी हैं,
कल भी रहेगी,खोज जारी|
हर तरफ, हर जगह, हर फिजा है,
खोज डाली|
आज नहीं, कल ही सही,
कभी तो होगी खोज पूरी|
न मिले तो भी चलेगा,
पर वो मिलनी है जरुरी|
थक चुकी हूँ|
टूट चुकी हूँ|
पर अभी भी जान है बाकी|
चल रही हैं नब्ज़ मेरी,
चल रहे हैं बाकी साथी|
हैं उम्मीद, हैं इरादा,
पा ही लुंगी जो हैं सोचा|
पहुंचना हैं उस शिखर पर,
जहाँ अब तक कोई न पहुंचा|
देख लेना साथियों तुम!
मैं ही हुंगी उस शिखर पर|
पा ही लुंगी उस मंजिल को अपनी,
करुँगी मेहनत मैं भी तब तक|

Comments

Pahadi_Canary said…
well ye meri pasandida selfcomposed poetry hai.... so ise blog banane ke ek saal baad publish kar rh hu....

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