हमारे देश की ये धड़कन है

मातृभाषा है हमारी हिन्दी, मात्र एक भाषा नहीं..
हमारे देश की अखंडता का भी, श्रोत तो है हिन्दी ही..
फिर क्‍यूं आज तक इसको मिला, राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं?..
क्‍यूं जाति और प्रांतो के नाम पर हमने है यह दुत्कार दी?..
ऐसा तो है नहीं की ये भाषा किसी भी मायने में कम है..
हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति, हमारे देश की ये धड़कन है..

आजकल कोई भीड़ में अगर हमे हिन्दी बोलता मिल जाये..
वो पढ़ा-लिखा, विद्वान, भी क्यूं एक गँवार कहलाया जाये|
हमारी मातृभाषा के अनादर का प्रत्यक्ष उदाहरण हमे तब मिलता है..
जब हिन्दी की कक्षा में आने को छात्र "मे आइ कम इन सर", कहता है..
ऐसा तो है नहीं की ये भाषा किसी भी मायने में कम है..
हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति, हमारे देश की ये धड़कन है..

आज का युवा वर्ग जागरूक है.. वो जानता है की हिन्दी हमारी मातृभाषा है..
परंतु भविष्य की चिंता में, वो अँग्रेजी सीखने को विवश किया जाता है..
पूरे साल में क्‍यूं हम केवल एक बार ही इस भाषा को याद किया करते हैं?..
और उसके बाद हिन्दी को भूल अँग्रेजी का ही गुण-गान करते रहते हैं|..
ऐसा तो है नहीं की ये भाषा किसी भी मायने में कम है..
हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति, हमारे देश की ये धड़कन है..

ऐसा बिल्कुल नहीं है की हम हिन्दी को राष्ट्र-भाषा कभी नहीं बना सकते..
पूरा हिन्दुस्तान एक हो जाये बस.. हम इसको उचाईयोँ तक हैं पहुँचा सकते..
फिर वो दिन दूर नहीं.. जब विदेशो में हिन्दी सीखी और बोली जायेगी!!..
हिन्दी की विश्व में बनी यह पहचान, हमारा स्वाभिमान, सम्मान और गर्व बढ़ाएगी||
क्यूंकि..
ऐसा तो है नहीं की ये भाषा किसी भी मायने में कम है..
हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति, हमारे देश की ये धड़कन है..

जय हिन्द.. जय हिन्दी..

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