मुस्कुराहट

एक दिन अचानक, राह में, मायूस सी, मुस्कुराहट मिल गयी..
पूछने पर सबब उसकी उदासी का, वो मुझसे ही पूछने लगी..
कि आजकल तो, अपनी ज़िंदगी में, सब हैं इतने रमे हुये..
कि हर वक़्त, अपने असली चेहरे, वो दुनिया से है छुपा रहे..
हर शक़्स की चाहत है ज़िंदगी में बस पैसा और शोहरत कमाने की..
फिर आखिर क्या अहमियत है आज इस संसार में "मुस्कुराहट" की??

किंकर्तव्यविमूंड सी मैं, उस समय सोचने लग गयी..
क्यूं आज हमें मुस्कुराने को भी, है कोई वजह ढूढ़नी पड़ रही..
जब रोना हो, तब तो हम, बेमतलब भी रो जाते हैं..
पर बेमतलब हॅंसने वाले को, क्यूं पागल हम बुलाते हैं??
मुस्कुराहट को अपने साथ बिठा, मैं उसे समझाने लग गयी..
में उसे बताने लग गयी अहमियत, उस हल्की सी मुस्कुराहट की..

जब थक जाती हैं ये आँखें, करते करते इंतज़ार..
अजनबी सा लगता है जब हर चेहरा हमें, जिसे देखा हो बार बार..
फ़र्क नहीं कर पता जब मन, अपने और पराये की..
तब समझ आती है अहमियत हमें, उस हल्की सी मुस्कुराहट की..:)

खोये खोये से हो जब हम, किसी उलझन को सुलझाने में..
आराम नहीं मिलता हमें जब, किसी ठोर ठिकाने में..
किसी की हर बात जब चुभने लगे, इस दिल में एक कांटे सी..
तब समझ आती है अहमियत हमें, उस हल्की सी मुस्कुराहट की..:)

थक हार के जब उम्मीद की आखिरी किरण भी बूझने लगे..
बंद हो जाये जब, मंजिल तक जाने के सब रास्ते..
दूर तलक जब दिखाई ना दे, परछाई किसी हम-सफर की..
तब समझ आती है अहमियत हमें, उस हल्की सी मुस्कुराहट की..:)

हज़ारो मुखौटे लगा के इंसान, किसी "मंजिल" को पाना चाहता है..
पर बस हल्की सी मुस्कुराहट से तो, पूरी दुनिया को जीता जा सकता है..
अब चाहे कोई माने या ना माने.. पर ये तो यथार्थ है.. 
कि ज़िंदगी में, मुस्कुराहट का, होना अनिवार्य है..
ये सब सुन के, थोरा इतरा के, मुस्कुराहट, मेरे लबों पर आ गयी..
बोली, चलो अब तुम ही दिखा दो अहमियत, उस हल्की सी मुस्कुराहट की..:)

Comments

Unknown said…
Yar bahut ache se vyakt kiya hai hindi mein :)
Mrs.Sarath.K.B said…
tHIS TOPIC DESERVES TO BE DISCUSSED,WELL THOUGHT & SAID

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